उन्नाव, जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया है कि गेहूँ-बुवाई के समय के अनुसार गेहूँ में दाने की दुधिवस्था में पांचवी सिंचाई बुवाई के 100-105 दिन की अवस्था पर और छठी व अन्तिम सिंचाई बुवाई के 115-120 कदन बाद दाने भरते समय करें। जिस गेहूँ की बुवाई मध्य दिसम्बर के आस-पास हुई हो उनमें चैथी सिंचाई पुष्पावस्था पर और पांचवी सिंचाई दुधियावस्था पर करें।
गेहूँ में इस समय हल्की सिंचाई ही करें। तेज हवा चलने की स्थिति में सिंचाई न करें, अन्यथा फसल गिरने का डर रहता है। गेहूँ की फसल को चूहो से बचाने के लिये जिंक फास्फाइड से बने चारे का प्रयोग करें। मटर-मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्डयू) रोग की रोकथाम के लिये प्रति हेक्टेयर 2 किग्रा घुलनशील गन्धक 20 प्रतिशत, 500 मिलीलीटर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर 12-14 दिन के अन्तराल पर दो छिड.काव करें। राई/सरसों-माहू कीट की रोकथाम के लिये प्रति हेक्टेयर डायमेथोयेट 30 प्रतिशत ई0सी0 1 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा मोनोक्रोटोफाॅस 36 प्रतिशत एस0एल0 500 मिली 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करना चाहिये और नीम आयल 1500पीपीएम 2.2ण्5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग कर सकते है।
उक्त के क्रम में कृषि विभाग के तकनीकी कर्मचारियों द्वारा जनपद में धान की फसल में सघन कीट/रोग का सर्वेक्षण किया जा रहा है। प्रकोप परिलक्षित होने पर कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारियो से तत्काल विकास खण्ड स्तर पर सहायता ले या निःशुल्क व्हाटसऐप नम्बर 9452247111, 9452257111 पर कीट/रोग कें फोटोग्राफ खींचकर अपना नाम, पता, और जनपद का नाम लिखकर घर बैठे ही तकनीकी सलाह ली जा सकती है।

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