सतना जिले के उचेहरा अंर्तगत परसमनिया पहाड़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र अंचल की विभिन्न समस्याओं को लेकर जन-आक्रोश आंदोलन जनसभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे पहाड़ी अंचल की विभिन्न ज्वलंत समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के नाम उचेहरा एसडीएम की अनुपस्थिति में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है।
इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रामगरीब कोल, अध्यक्षता गुलजार सिंह,सहित संरक्षक, सरदार सिंह धुर्वे सरपंच आलमपुर, एडवोकेट कमल सिंह मरकाम,केदारनाथ, प्रेमलता, राम सजीवन, गुड़िया सहित आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

यह है प्रमुख मांगे

आदिवासियों ने परसमनियां पठार में सेंचुरी पार्क बनाए जाने का विरोध किया है और मांग की है की इस प्रस्ताव को रोका जाए बल्कि इसकी बजाय क्षेत्र में कुटीर उद्योग स्थापित किए जाए इससे स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध होने से अन्य राज्यों में जाने वाले लोगों का पलायन रुकेगा। इसके अलावा समूचे क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है स्थिति ऐसी है कि कई विद्यालय शिक्षक विहीन हैं शिक्षा के स्तर के सुधारने के प्रयास पर जोर दिया जाए।परसमनिया पठारी अंचल में खादान्न दूसरे क्षेत्र से आकर बांटते है इसमें स्थानीय आदिवासी समूहों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण कराया जाए। समूचा क्षेत्र असिंचित और वर्षा आधारित खेती पर ही निर्भर है इसलिए बरगी के पानी को यहां पहुंचाने के प्रयास किए जाएं। परसमनिया पहाड़ से जुड़ा हुआ पन्ना जिले का आदिवासी बाहुल्य कल्दा पाठा है इन क्षेत्रों के लोग संपूर्ण बाजार करने मैहर आते है और नवरात्रि के समय मैहर बाजार जाने वाला मार्ग पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है जिससे यहां के लोगों को आवागमन रुकावट होती है । मेले के समय पहाड़ में आवागमन के लिए कोई अन्य रास्ता निर्धारित किया जाए ताकि यहां के लोग असुविधा से बच सकें।

इनका कहना है

परसमनिया पहाड़ी अंचल में जल, जंगल सहित रोजगार शिक्षा के मुद्दे आज भी ज्वलंत हैं। यहां के आदिवासी समुदायो की जंगल से आजीविका चलती है। समस्त पठार को अपनी आत्मा मानते हैं। सामाजिक स्थिति में काफी अधिक बदलाव हो रहा है पर आर्थिक स्थिति आजादी के इतने वर्ष बाद भी सुदृढ़ नहीं हो पाई है। क्षेत्र की ज्वलंत समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है। अगर इस पर अमल नहीं होती पुनः बैठक कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी।

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