मेरठ में सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और अन्य अवसंरचना के विकास के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), उत्तर प्रदेश जल निगम और मैसर्स मेरठ एसटीपी प्रा. लिमिटेड के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर नई दिल्ली में एनएमसीजी के महानिदेशक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर एनएमसीजी के उप महानिदेशक, श्री नलिन कुमार श्रीवास्तव राज्य एजेंसियों और रियायतग्राही के अन्य प्रतिनिधियों के साथ उपस्थित हुए। हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपी मोड के अंतर्गत इस परियोजना की कुल लागत 369.74 करोड़ रुपये है और इसे दिसंबर, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एनएमसीजी ने 220 एमएलडी की कुल क्षमता वाले सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) का निर्माण करने के लिए परियोजना को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन (आई एंड डी) संरचनाओं का विकास, आई एंड डी नेटवर्क बिछाना, 15 वर्षों के लिए परिचालन एवं रखरखाव सहित सीवेज पंपिंग स्टेशन आदि जैसे अन्य कार्य भी शामिल हैं। इस परियोजना का उद्देश्य मेरठ शहर में मौजूदा सीवेज समस्याओं और इसके कारण काली नदी में सीवेज प्रदूषण की समस्या का समाधान करना भी है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद, मेरठ शहर से काली नदी (पूर्व) में अनुपचारित सीवेज का निर्वहन नहीं होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी। काली (पूर्व) कन्नौज के समीप गंगा नदी से मिलती है और इस परियोजना के पूरा होने से गंगा नदी के प्रदूषण में भी कमी लाने में मदद मिलेगी।समझौते पर उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामीण) के अधीक्षण अभियंता, श्री एसके बर्मन, श्री मयंक अग्रवाल, प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता, मैसर्स मेरठ एसटीपी प्राइवेट लिमिटेड और श्री बिनोद कुमार, निदेशक (परियोजना), एनएमसीजी ने श्री जी. अशोक कुमार, एनएमसीजी के महानिदेशक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए, जिन्होंने इस हस्ताक्षर प्रक्रिया के पूरा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

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