डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इसकी प्रतिबद्धता संगोष्ठी में प्रदर्शित की गई भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एशिया और प्रशांत विभाग (एपीडी) के सहयोग और आईएमएफ के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता केंद्र (एसएआरटीटीएसी) के समर्थन से आज नई दिल्ली में ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने में मददगार’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी की। इस हाइब्रिड कार्यक्रम में सचिव (आर्थिक कार्य), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार; मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारत सरकार; आईएमएफ और विश्व बैंक के वरिष्ठ विशेषज्ञ व्यक्तिगत रूप से, आईएमएफ और विश्व बैंक के वरिष्ठ विशेषज्ञ व्यक्तिगत रूप से और एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व के 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि वर्चुअल रूप से शामिल हुए। इस सेमिनार ने समकक्ष शिक्षण को बढ़ावा देने, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की क्षमता का दोहन करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य किया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘इंडिया स्टैक’ को विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में विकसित करने में भारत की उल्लेखनीय यात्रा का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसने न केवल भारत में डिजिटल परिदृश्य को बदल दिया है, बल्कि दुनिया भर में डिजिटल बदलाव लाने के लिए शक्तिशाली सबक भी प्रदान किया है। आईएमएफ के पेपर “लाभों का संचय: भारत की डिजिटल यात्रा से सबक” ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान 87% से अधिक गरीब परिवारों तक प्रभावकारी ढंग से पहुंचने के लिए भारत के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की व्यवस्था की सराहना की, जिसमें डिजिटल माध्यम से आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला गया है। विश्व बैंक ने इस सेमिनार में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए जी20 नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत कीं। इन सिफ़ारिशों को हाल ही में नई दिल्ली में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अनुमोदित किया गया था। इन सिफारिशों में वित्तीय समावेशन प्राप्त करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में आईपीआर की क्षमता को अनुकूलित करने के लिए समस्त देशों के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और अनुकूलन योग्य रणनीतियां प्रदान की गई हैं। सचिव (आर्थिक कार्य) ने भारत की डिजिटल यात्रा से जुड़ी अंतर्दृष्टि साझा की और डिजिटल और वित्तीय समावेशन खाई को सरल, बड़े पैमाने पर और टिकाऊ समाधानों के रूप में पाटने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो प्रभावकारी ढंग से अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सकती है, और जो यह सुनिश्चित करती है कि डिजिटल युग में कोई भी इससे वंचित न रहे। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने ज्ञान साझाकरण, क्षमता निर्माण और डीपीआई के सीमा पार लिंकेज के माध्यम से डीपीआई विकसित करने के लिए आगे की राह पर चर्चा की। सेमिनार में उद्योग विशेषज्ञों, ज़ेरोधा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री नितिन कामथ और एकस्टेप फाउंडेशन के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी डॉ. प्रमोद वर्मा के बीच भी चर्चा हुई। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इसकी प्रतिबद्धता इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रदर्शित की गई। Post navigation भारतीय नौसेना पोत सह्याद्री ने प्रथम भारत-इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास में भाग लिया प्रधानमंत्री दिखाएंगे नौ वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी