देश 2023 के दौरान क्रमशः 3305, 275 और 410 लाख टन खाद्यान्न, दलहन और तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन करेगा पिछले 3 वर्षों से लागू सरसों मिशन से रेपसीड और सरसों का उत्पादन 37 प्रतिशत बढ़कर 91.2 से 124.94 लाख टन हो गया है देश में कृषि-पारिस्थितिकी उपयुक्त और आवश्यकता आधारित फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा देश में 2015-16 से खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि का रुझान बना हुआ है। यह बात सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण) श्री मनोज आहूजा ने आज रबी अभियान 2023-24 के लिए कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कही। अपने संबोधन में, श्री मनोज आहूजा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तीसरे अग्रिम अनुमान (2022-23) के अनुसार, देश में खाद्यान्न का उत्पादन 3305 लाख टन होने का अनुमान है, जो 2021-22 के दौरान खाद्यान्न के उत्पादन की तुलना में 149 लाख टन अधिक है। चावल, मक्का, चना, दलहन, रेपसीड और सरसों, तिलहन और गन्ना का रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। 2022-23 के दौरान कुल दलहन और तिलहन उत्पादन क्रमशः रिकॉर्ड 275 और 410 लाख टन होने का अनुमान है। सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण विभाग) ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में कुल खाद्यान्न उत्पादन 31 प्रतिशत बढ़कर 251.54 से 330.54 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2022-23 के लिए तिलहन और दलहन ने कृषि उत्पादों (समुद्री और वृक्षारोपण उत्पादों सहित) के निर्यात की समान रुझान का अनुसरण किया है, जो 53.145 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह कृषि निर्यात के लिए अब तक का उच्चतम स्तर है। पिछले दो वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने में अत्यंत सहायक साबित होगी। इस सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ववर्ती फसल मौसम के दौरान फसल निष्पादन की समीक्षा और आकलन करना तथा राज्य सरकारों के परामर्श से रबी मौसम के लिए फसल-वार लक्ष्य तय करना, महत्वपूर्ण इनपुट की आपूर्ति सुनिश्चित करना और उत्पादन बढ़ाने तथा फसलों की उत्पादकता में वृद्धि की दृष्टि से नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा प्रदान करना है। सरकार की प्राथमिकता चावल और गेहूं जैसी अतिरिक्त वस्तुओं से लेकर तिलहन और दालों जैसी कमी वाली वस्तुओं और उच्च मूल्य वाली निर्यात आय वाली फसलों की ओर भूमि का परिवर्तन करने के लिए कृषि-पारिस्थितिकी आधारित फसल योजना है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में धर्मशाला में मुख्य सचिवों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन ने राज्यों के परामर्श से फसल विविधीकरण और दलहन तथा तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए एजेंडा निर्धारित किया है। यह सम्मेलन एजेंडे को तार्किक निष्कर्ष की ओर ले जाएगा। आईवाईएम 2023 के माध्यम से बैठकों में गिफ्ट हैम्पर्स, प्रदर्शनियों और भोजन के हिस्से के रूप में, भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान पोषक अनाज एक सक्रिय घटक था। 9 सितंबर 2023 को पूसा के आईएआरआई परिसर में जी20 नेताओं की पत्नियों (स्पाउज) का एक दौरा आयोजित किया गया था। इसके दौरान पोषक अनाज स्टार्टअप, किसान और लाइव कुकिंग व्यंजनों ने मुख्य रूप से ध्यान आकर्षित किया। वर्ष 2023-24 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 3320 लाख टन निर्धारित किया गया है, रबी सीजन इसमें 1612 लाख टन का योगदान देगा। इसी प्रकार रबी फसलों का हिस्सा दलहन के लिए 292 लाख टन में से 181 और तिलहन के लिए 440 लाख टन में से 145 होगा। यह कार्यनीति अंतर-फसल और फसल विविधीकरण के माध्यम से क्षेत्र को बढ़ाने और एचवाईवी की शुरुआत तथा कम उपज वाले क्षेत्रों में उपयुक्त कृषि पद्धतियों को अपनाने के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने की होगी। पिछले 3 वर्षों में सरसों का उत्पादन 37 प्रतिशत बढ़कर 91.24 से 124.94 लाख टन हो गया है। उत्पादकता 7 प्रतिशत बढ़कर 1331 से 1419 किलोग्राम/हेक्टेयर हो गई। रेपसीड और सरसों का क्षेत्रफल 2019-20 में 68.56 से 28 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 88.06 लाख हेक्टेयर हो गया। इस सराहनीय उपलब्धि के लिए कृषक समुदाय और राज्य सरकारें विशेष प्रशंसा की पात्र हैं। सरसों का उत्पादन बढ़ने से पाम और सूरजमुखी तेल के आयात में आ रहे कुछ संकट से निपटने में मदद मिल रही है। रबी सीजन से संबंधित सभी तकनीकी और इनपुट संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। उर्वरक सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा ने उर्वरकों की समय पर आपूर्ति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने उर्वरकों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को साझा किया। सचिव (डीएआरई) और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने जलवायु लचीली प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और अपनाई जा रही अनुकूलन रणनीतियों का वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया। जलवायु परिवर्तन से निपटने का भारतीय अनुभव एनआईसीआरए टीम द्वारा साझा किया गया। एनआईसीआरए परियोजना के तहत किए गए बड़ी संख्या में अध्ययनों ने विभिन्न कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए जलवायु लचीली प्रौद्योगिकियों की पहचान की है। सम्मेलन में उन्नत प्रौद्योगिकियों की तुलना में किसान प्रथा के साथ फसल उत्पादन में बड़े उपज अंतर पर चिंता जताई गई। संयुक्त सचिव (फसल एवं तिलहन) श्रीमती शुभा ठाकुर ने देश को इन वस्तुओं में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए दलहन और तिलहन के लिए विजन प्रस्तुत किया। दलहन के लिए, 2025 तक 325.47 लाख टन का लक्ष्य हासिल करने का प्रस्ताव है। अंतर-फसल, चावल की परती भूमि को लक्षित करना, उच्च क्षमता वाले जिलों और गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में विस्तार जैसी विशेष परियोजनाएं तिलहन के तहत अतिरिक्त क्षेत्र लाएंगी। इससे 2025-26 के अंत तक वार्षिक खाद्य तिलहन का घरेलू उत्पादन 362 के वर्तमान स्तर से बढ़कर 541 लाख टन और खाद्य तेल उत्पादन 85 से बढ़कर 136 लाख टन हो जाएगा। नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से अगले 5 वर्षों में आयात निर्भरता को 56 प्रतिशत से कम करके 36 प्रतिशत करने में मदद मिलेगी। अतिरिक्त सचिव (कृषि) और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। Post navigation जी-20 शिखर सम्मेलन “नटराज : ब्रह्मांडीय ऊर्जा की अभिव्यक्ति” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन उपराष्ट्रपति ने क्षेत्रीय बाजरा अनुसंधान केंद्र का शिलान्यास किया