परियर उन्नाव। फाल्गुन माह से 14 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ स्थानीय जानकी कुंड आश्रम से मंगलवार सुबह हो गया। श्रद्धालु जानकी कुंड की परिक्रमा के बाद पूजा अर्चना और बांस की छड़ी लेकर कानपुर के पौराणिक स्थल बिठूर की परिक्रमा के लिए निकल पड़े हैं। मेले का समापन बिठूर में तीसरे दिन होगा।
महार्षि वाल्मीकि आश्रम जानकी कुंड से मंगलवार सुबह श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर हाथ में बांस की हरी छड़ी लेकर 14 कोसी पैदल परिक्रमा की शुरुआत की। श्रद्धालुओं का मानना है मां जानकी ने वन में रह कर भी अपने परिवार की जिम्मेदारी का निर्वाह किया। अपने पुत्रों के पालन पोषण, शिक्षा दीक्षा में इतना निपुण हो गए कि उनके आगे अयोध्या नरेश श्रीराम की सेना को भी झुकना पड़ा। और उनका वंश भी चलता रहा। इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु इस स्थान से हरे बांस की छड़ी लेकर परिक्रमा करते हैं और अपने घरों या मंदिरों में पूजा के स्थान पर रख इसकी पूजा अर्चना करते हैं। कुछ श्रद्धालु पुत्र प्राप्ति के लिए भी हरे बांस की छड़ी लेकर परिक्रमा करते हैं।

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