न्यायालय के आदेश को मानने के लिए उप निबंधक, बंधक नहीं उप निबंधक कार्यालय किसी भी सक्षम न्यायालय के आदेशों को नहीं मानता ।
चौथ के आगे सक्षम न्यायालय के आदेशों को किया जाता है नजर अंदाज
जनपद सदर उन्नाव – रजिस्टार एस सरोज साहब का कथन – मैं राजस्व एकत्रित करने के लिए बैठा ना कि दस्तावेजों मैं संलग्न प्रपत्र का मूल्यांकन करने के लिए।
किसकी भूमि है किसके नाम है कौन बेच रहा या कोई सक्षम न्यायालय का स्टे है या नहीं, उक्त भूमि पर विक्रय पर रोक है कि नहीं संलग्न इंतखाब या अन्य पृपत्र विक्रय पत्र लिखने वाले को विक्रय नामा लिखने का अधिकार है कि नहीं या उसके नाम भूमि है भी कि नहीं मुझे कोई उससे वास्ता व सरोकार नहीं। यह न्यायालय का काम है मैं तो सिर्फ राजस्व एकत्रित करने के लिए बैठा हूं मुझे कोई भी दस्तावेज हो मुझे उसको स्वीकृत करना है, मुझको ऊपर से आदेश दिए गए हैं कि तुम राजस्व को एकत्रित करो।
यह कथन है उप निबंधक कार्यालय के रजिस्ट्रार साहब एस सरोज जी का है जिसके चलते भू माफिया लोग जिन भूमियों पर सक्षम न्यायालय द्वारा स्टे व क्रय विक्रय पर रोक है उन भूमियों का धड़ल्ले से सौदा कर दिया जाता है। और रजिस्टर साहब अपनी चौथ को लेकर, राजस्व एकत्रित की दुहाई देते उसको स्वीकृत कर अपनी चौथ का कार्यालय में बंदरबांट कर लेते हैं। और यह कहकर कि दस्तावेज में संलग्न प्रपत्र चेक करने का मुझे कोई अधिकार नहीं व न उस पर टिप्पणी करने का।
यह है योगी जी के न्याय प्रणाली के जिम्मेदार अधिकारी ये गैर जिम्मेदाराना अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि जब कोई आम जनमानस के साथ अन्याय होता है और वह अपनी पुकार सक्षम न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो न्याय की गुहार लगाता है। जहां सक्षम न्यायालय द्वारा उचित समझ कर आम जनमानस को तत्काल राहत के तौर पर स्टे ऑर्डर दिया जाता है। जिससे पीड़ित की भूमि बची रहे उचित फैसला होने के बाद ही कोई निर्णय किया जाता है।
लेकिन जनपद उन्नाव के होनहार रजिस्ट्रार साहब एस सरोज इन बातों व आदेशों से मुखातिब होना उचित नहीं समझते हैं जिसके चलते यह अपनी तानाशाही व गैर जिम्मेदाराना तथा भूमाफियाओं द्वारा भेंट को ध्यान में रखकर आम जनमानस के न्याय के साथ खुला खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर नियमों की बात करें तो जिस सक्षम न्यायालय के आदेशों की विक्रय नामा इनके द्वारा रजिस्टर्ड किए गए क्या वह (न्यायालय इन पर कोर्ट आफ कंटेंम) न्यायालय की अवेहलना की कार्रवाई करना उचित नहीं समझता।
क्यों नहीं की जाती इन पर कोई उचित कार्रवाई जिससे आम जनमानस को न्याय मिल सके।
विशेष: उप निबंधक कार्यालय सदर उन्नाव में बड़े-बड़े खेल से यह कार्यालय सरा बोर है। पूर्व जिलाधिकारी द्वारा आकस्मिक जांच के दौरान फर्जी कर्मचारी तक मिले थे व कुछ जेल की दहलीज तक गए। उसके बावजूद विभाग में अधिकारी से लेकर प्रत्येक कर्मचारी का लगता है हिस्सा। जिसका दामोदार कार्यालय वरिष्ठ लिपिक राजकुमार जी द्वारा वितरण होना बताया जाता है और तो और गली के गुंडे से लेकर फर्जी पत्रकार तक वसूली का होता है बंदरबांट और अधिकारी महोदय कहते हैं हमें ऊपर तक समझाना होता है। अगर इस कार्यालय की नियमता जांच कराई जाए तो शायद कोई ही विक्रय पत्र पूर्ण सत्य होगा वरना ऐसा कोई विक्रय पत्र नहीं होगा जिसमें कोई खेल ना खेला गया हो राजस्व की हानि के लिए।

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