उन्नाव– जनपद उन्नाव में भ्रष्टाचार की एक ताज़ा रिपोर्ट ने फिर से शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला तीन अधिकारियों से जुड़ा बताया जा रहा है — रिपोर्ट में तीनों के खिलाफ आरोप स्पष्ट रूप से दर्ज हुए, लेकिन कार्रवाई हुई सिर्फ एक पर! स्थानीय लोगों में चर्चा है कि यह “उन्नाव फॉर्मूला” अब नया सिस्टम बन गया है — 👉 “तीन दोषी, एक सज़ा… बाकी दो बचा!” 🔹 रिपोर्ट से कार्रवाई तक — “चयनित न्याय” की मिसाल मामला सरकारी कार्यों में गड़बड़ी, करोड़ों रुपये के बिल और निर्माण कार्यों की अनियमितताओं से जुड़ा है। कथित रूप से झाड़ू, तौलिया से लेकर रंगाई-पुताई तक में ऐसी “कलात्मक एंट्री” हुई कि पूरे फाइल सिस्टम की स्याही तक शर्मिंदा हो गई। लेकिन जब जांच रिपोर्ट आई, तो शासन ने मानो आदेश दिया — “तीन में से एक को पकड़ लो, बाकी तो सिस्टम के बच्चे हैं।” 🔹 जनता के सवाल और सिस्टम की चुप्पी शहरवासियों का कहना है — “क्या बाकी दो डॉक्टरों को क्लीन चिट के साथ बोनस भी दे दिया गया?” अब लोग इसे ‘चयनित न्याय योजना’ का नाम दे रहे हैं, जबकि जिन पर कार्रवाई नहीं हुई उन्हें मानो ‘सेवामुक्त सम्मान योजना’ का पात्र घोषित कर दिया गया है। 🔹 जनता की मांग जनता का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार की जांच हो ही रही है, तो निष्पक्ष और पारदर्शी हो। “तीन में से एक को बलि का बकरा बनाना न केवल न्याय का मज़ाक है बल्कि ईमानदार अफसरों के मनोबल पर भी चोट है।” अंत में सवाल वही — क्या उन्नाव में अब न्याय भी ‘सेलेक्टिव मोड’ पर चलने लगा है? Post navigation लौह पुरुष की 150वीं जयंती पर उन्नाव पुलिस करेगी विशेष आयोजन