उपराष्ट्रपति ने कहा की ज़िम्मेदार पदों पर आसीन व्यक्तियों को संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना चाहिए राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक, हम सभी इस देश के सेवक हैं – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित कराकर प्रधानमंत्री ने इतिहास रच दिया-उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ महिलाओं को सशक्त किए बिना कोई भी देश तरक्की के उच्च शिखर तक नहीं पहुंच सकता -उपराष्ट्रपति समाज को बदलने के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम-उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्य सभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा-उपराष्ट्रपति भारतीय संस्कृति का संरक्षण करें, उसका सम्मान करें, हमारी संस्कृति दुनिया में बेमिसाल है –उपराष्ट्रपति राजस्थान के अपने एक दिवसीय दौरे पर आए भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने लक्ष्मणगढ़ में मोदी विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय की छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बेवजह संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति को राजनीति में घसीटा जाना ठीक नहीं है। राजस्थान में उनकी यात्राओं पर उठे सवालों पर पीड़ा व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया की उनकी यात्रा या तो विधानसभा के अध्यक्ष के निमंत्रण पर हुई या फिर केंद्र सरकार के कार्यक्रमों में हुई। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति की कोई भी यात्रा अचानक नहीं होती, बहुत सोच विचार, चिंतन और मंथन के बाद होती है। उन्होंने उच्च और ज़िम्मेदार पदों पर आसीन लोगों से संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान बनाए रखने का आग्रह किया और कहा राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी इस देश के सेवक हैं। अपनी पीड़ा को कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा “खता क्या की हमने, पता ही नहीं! आपत्ति क्यूं है उन्हें हमारे घर आने की, पता ही नहीं! ये कैसा मंजर है समझ से परे है, सवालिया निशान क्यों है अपने घर आने में, क्या जुल्म है? पता ही नहीं!!” नारी शक्ति वंदन अधिनियम के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अब लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी जो देश को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। उन्होंने अधिनियम की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब सत्ता की बागडोर महिलाओं के हाथ में होती है तब देश की तरक्की बहुत तेजी से होती है। उपराष्ट्रपति ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को प्रस्तुत किए जाने वाले दिन की याद दिलाते हुए छात्राओं से कहा कि यह विधेयक गणेश चतुर्थी के दिन प्रस्तुत किया गया था इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आपके लिए और देश के लिए कितना शुभ है, यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और यह भविष्य में हमारे समाज में बहुत परिवर्तनकारी सिद्ध होगी। उन्होंने आगे कहा कि इससे महिलाओं को उनके हक मिलेंगे और वे विकास की मुख्य धारा में सक्रिय रूप से अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। संस्थान के निदेश की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि , संस्थान में तपोवन है, योगशाला भी है, हमारी संस्कृति हमारी ताकत है और यह संस्थान भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों पर आधारित है। यहाँ भारतीय संस्कृति की झलक दिखती है, भारतीय संस्कार दिखते हैं और यह दुनिया की एक महानतम संस्था है। उन्होंने कहा आपने बहुत मेहनत से संस्थान को इस मुकाम तक पहुंचाया है इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि हमारी संस्कृति पाँच हजार सालों से भी पुरानी है। जी-20 के सफल आयोजन के दौरान दुनिया के सभी नेताओं ने हमारी संस्कृति के दर्शन किए और भारतीय संस्कृति से परिचित हुए हमारी संस्कृति का कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहा कि जी-20 के आयोजन पूरे देश में किए गए यह अभूतपूर्व है। देश के 58 से अधिक स्थानों पर जी-20 से जुड़ी बैठकें आयोजित की गयी। इससे दुनिया के नेताओं को भारतीय संस्कृति के दर्शन करने का एक सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि दुनिया के नेता हमारे देश से कभी न भूलने वाली यादें लेकर गए हैं। कभी किसी ने इतने सफल आयोजन की कल्पना नहीं की थी जैसा भारत ने करके दिखाया। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप ऐसे कालखंड में रह रहे हो जब भारत उन्नति की ओर अग्रसर है और यह उन्नति विश्व में प्रमाणित हो चुकी है। दुनिया स्तब्ध है। चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 23 अगस्त 2023 को एक ऐसा करिश्मा हुआ जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी, जब इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के उस हिस्से पर सफलतापूर्वक उतार दिया जहां दुनिया का कोई देश अभी तक नहीं पहुंच पाया था, यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, हमें भारत की इस उपलब्धि पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इस उपलब्धि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। महिलाओं की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में राष्ट्रपति के पद से लेकर वित्त मंत्री जैसे उच्च पदों पर महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर रही हैं, यह देश के लिए गर्व की बात है। उपराष्ट्रपति ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह दुनिया की एक बेहतरीन अर्थशास्त्री हैं और पूरी दुनिया में उनका एक रुतबा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश तेरह साल पहले दुनिया की पाँच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था और आज हम विश्व की पांच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गए हैं और हमने अपनी इस विकास यात्रा के दौरान यूके और फ्रांस जैसी शक्तियों को पछाड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि बहुत ही जल्द भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति होगा और इसमें नारी शक्ति वंदन अधिनियम की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। उपराष्ट्रपति ने छात्राओं से कहा जब 2047 में भारत अपनी आजादी का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा उस समय आप लोग निर्णायक भूमिका में होंगे। उपराष्ट्रपति ने स्वामी विवेकानंद के वचनों को याद करते हुए कहा कि स्वामी जी ने कहा था कि कोई भी देश महिलाओं को सशक्त किए बिना खुशहाल नहीं हो सकता और न ही तरक्की के उच्च शिखर तक नहीं पहुंच सकता। उपराष्ट्रपति ने पद्म पुरस्कारों का जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत में यह परिवर्तन आया है कि सामान्य लोगों को जिन्होंने सराहनीय कार्य किए हैं उन्हें यह पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे अलंकरण प्रदान किये जा रहे हैं, पहले यह पुरस्कार सिर्फ नामी लोगों को ही प्रदान किए जाते थे। उपराष्ट्रपति ने भारतीय संसद के नए भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, प्रधानमंत्री संग्रहालय और वॉर मेमोरियल की प्रशंसा करते हुए संस्थान की छात्राओं को उन्हें देखने के लिए आमंत्रित किया। अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप जब उन्हें देखेंगे तो अचंभित रह जाएंगे कि भारत ने कितनी विकास यात्रा तय कर ली है, आज भारत बदल गया है, यह बदलाव आपको वहां देखने को मिलेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपको आज जो वातावरण मिल रहा है वह पहले उपलब्ध नहीं था, पहले सत्ता के गलियारों में दलालों का वर्चस्व था, वे नीतियों को प्रभावित करते थे, हमारी प्रगति में एक बहुत बड़े बाधक हुआ करते थे। आज सत्ता के गलियारों को दलालों से पूरी तरीके से मुक्त कर दिया गया है, उन्होंने आगे कहा कि जब कोई समाज या देश तेज गति से तरक्की करता है तो बहुत से लोग उसकी आलोचना भी करते हैं उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में आपको भारतीयता और भारत को सर्वोपरि रखना है और देश की आलोचना करने वालों को हतोत्साहित करना है। अपने संबोधन में उन्होंने छात्राओं के अभिभावकों से भी अनुरोध किया की वे छात्राओं को उनके मन के हिसाब से अपना करियर चुनने दें, उन पर किसी भी प्रकार का कोई दबाव न बनाएं। अपने संबोधन के अंत में उपराष्ट्रपति ने मोदी विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से संस्थान की यथायोग्य सहायता करने को कहा ताकि संस्थान भविष्य में और ऊंचे प्रतिमान स्थापित कर विश्व में एक नया मुकाम बना सके । उपराष्ट्रपति ने छात्राओं का उत्साह वर्धन किया, उन्हें शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर डॉक्टर (श्रीमती) सुदेश धनखड़, संस्थान के निदेशक, फैकल्टी मेंबर, संस्थान कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में संस्थान के विद्यार्थी और अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान उपरष्ट्रपति ने बीकानेर जिले के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से मुलाकात की एवं तेजाजी मंदिर, सांगलिया धूणी और त्रिवेणी धाम के दर्शन भी किये। Post navigation देहरादून में एक कानूनी जागरूकता अभियान का आयोजन सीपीएसई के स्वतंत्र निदेशकों के लिए अभिविन्यास और शिक्षण शिखर सम्मेलन का आयोजन