❗राजस्व परिषद को खुलेआम दुहाई दे रहा है जनपद उन्नाव
❗शहर उन्नाव का कोई भी रिकॉर्ड कई दशकों से अभिलेखागार कार्यालय में मौजूद नहीं
❗स्वयं अभिलेखागार कार्यालय के जिम्मेदार बता रहे हैं
❗जिला प्रशासन को होश नहीं शहर के अभिलेख पूरी तरह भू माफियाओं के निगरानी में
जनपद उन्नाव इस सत्य से नहीं नकारा जा सकता जिस जिले के अभिलेख चकबंदी बंदोबस्त जिल्द, नक्शा व रिकॉर्ड जिले के कार्यालय में ना हो और बगैर किसी आदेश के अभिलेखागार कार्यालय के मूल दस्तावेज लेखपाल के पास होना और तो और मूल अभिलेखों की संपूर्ण छाया प्रति भूमाफियाओं व भूमि दलालों के पास उपलब्ध हो जहां राजस्व परिषद के नियमानुसार चकबंदी जिल्द व नक्शा तथा सर्वे, प्रति भूमि अभिलेखागार में मौजूद होना चाहिए। जिससे कोई भी नागरिक अपनी भूमि संबंधित जानकारी हासिल कर सके। परंतु बड़ी विडंबना के साथ कहना पड़ रहा है कि जनपद उन्नाव में राजस्व परिषद की एक नहीं चलती यहां तो सिर्फ सत्ता पक्ष के नेताओं के गुर्गों व भूमाफियाओं व दलालों की चलती है।
चाहे वह असंक्रमणीय भूमि के दस्तावेज की दाखिल खारिज हो चाहे वह पूर्व में मृत व्यक्ति को जिंदा मानकर दाखिल खारिज, नायब साहब ने गंभीरता समझकर आदेश स्थगन किया तो वहीं दूसरी ओर तेज तर्रार भू माफिया के लाडले पूर्व सदर तहसीलदार अविनाश जी ने स्थगन आदेश को ही स्थगन कर दिया कुसंगत आदेश को सही ठहरा दिया ऐसे हैं अधिकारी जो भूमि बेचकर पैसा दो की नीति पर कार्य करते देखे जाते हैं
ऐसे–ऐसे आदेश राजस्व परिषद के यह भ्रष्ट अधिकारी खुलेआम करते देखे जाते हैं इनके खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाती और ना ही राजस्व परिषद को इनके भ्रष्ट क्रियाकलापों की सूची भेजी जाती है और जिला प्रशासन मूक् दर्शक बना बैठा रहता है। वही भूमाफिया व दलाल शहर का नक्शा व बंदोबस्त जिल्द में तय करते हैं कि किसकी भूमि कौन कहां है। जो बता दी जाए वही सही है वरना जाओ रिकॉर्ड ढूंढो। जब रिकॉर्ड ढूंढने आम नागरिक व अधिवक्ता, सरकारी कार्यालय अभिलेखागार जाता है तो उक्त कार्यालय अपने हाथ खड़े कर देता है कि हमारे पास कुछ नहीं जाओ लेखपाल से मिलो उन्हीं के पास है शहर की बंदोबस्त जिल्द , नक्शा आदि। वर्तमान स्थिति में यह हाल है कि जिल्द का एक-एक पन्ना फटा हुआ है व नक्शा जर्जर अवस्था में है इस चीज की कमजोरी उठाने में लेखपाल भी पीछे नहीं हटते अपनी मनचाही उगाही को लेकर वरना लेखपाल यही कह देते हैं कि जाओ हमारे पास कुछ नहीं कार्यालय में जाओ वहां मोआइना करो जाकर। नागरिक से लेकर अधिवक्ता तक, कार्यालय जाकर क्या करें 41व 45 का मोयना क्या करें जब वहां कुछ है ही नहीं वह भी विवश हो जाता है। इनकी सारी शर्तें पूरे करने को जो जितना चाहते हैं उतना वसूल कर लेते हैं। सही बता दे तो सही, गलत बता दे तो सही जिस पर अगर कुछ उनसे कहो कि भैया जिल्द दिखा दो तो उनका एक ही जवाब होता है कि देख नहीं रहे हो सारे पन्ने फटे हुए हैं हम जितना बता रहे हैं उतना मानो ऐसी स्थिति में आम नागरिक क्या करें उक्त वीडियो स्वयं गवाह है।

अविनाश चौधरी तहसीलदार महोदय द्वारा विगत दिनांक 24-1-25 यह सदर तहसीलदार के रहते किया गया इस तरह के कुसंगत आदेश इसके पूर्वी कई आदेश इनके कुसंगत रहे और या तहसीलदार महोदय इतने प्रभावशाली है कि जब तहसील में इनकी कुसंगत आदेशों की पत्रावलियों का ढेर लग जाता है तो महोदय अन्य तहसील निकल जाते हैं और आम जनमानस उनके किए गए भ्रष्ट आदेशों को धारा 35 के तहत मजबूरी बस एस डी एम साहब के यहां अपील पर जाता है जहां कानून में उसको इतना उलझा दिया जाता है तब तक यह भू माफिया भूमि बेचकर बंदर बांट कर लेते हैं अब जाता मामला ना बची भूमि तो काहे का मुकदमा काहे की अपील इसी बात का तो रोना है यही भूमाफियाओं व भ्रष्ट अधिकारियों की चाल रहती है न्याय मांगने वाला स्वयं दम तोड़ देता है……………….प्रेम से बोलो जय श्री राम

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