रिजर्व पुलिस लाइन उन्नाव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई गई। आज दिनांक 02 अक्टूबर 2025 को पुलिस अधीक्षक उन्नाव श्री जय प्रकाश सिंह द्वारा पुलिस लाइन स्थित क्वार्टर गार्ड पर महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उनकी तस्वीरों पर माल्यार्पण करते हुए सलामी दी गई। इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) उन्नाव श्री अखिलेश सिंह, क्षेत्राधिकारी यातायात/आंकिक श्री अजय कुमार सिंह और प्रतिसार निरीक्षक रिजर्व पुलिस लाइन उन्नाव श्री अब्दुल रशीद व अन्य पुलिसकर्मी उपस्थित रहे। तत्पश्चात पुलिस अधीक्षक उन्नाव द्वारा इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा गया कि मोहनदास करमचन्द्र गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी, बापू, राष्ट्रपिता के नाम से भी जानते हैं। गांधी जी ने अफ्रीका में काले एवं गोरे के नक्सलीय भेदभाव को महसूस करने के बाद नक्सलीय भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया और उसे एक सीमा तक समाप्त करने में सफल भी रहे।उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आन्दोलन, दाण्डी यात्रा, नमक आन्दोलन, भारत छोड़ो जैसे अनेक आन्दोलन चलाये, किन्तु कभी भी उन्होने सत्य एवं अहिंसा के मार्ग को नहीं छोड़ा इसलिये 02 अक्तूबर को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। वस्तुतः सत्य एवं अहिंसा के इस पुजारी ने बिना शस्त्र के भारत को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका अदा की, जिसके लिये हम सभी उनके ऋणी हैं। अल्वर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को शायद ही विश्वास होगा कि मांस और रक्त से बना ऐसा कोई व्यक्ति कभी धरती पर आया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन के इस पावन अवसर पर हम सभी यह प्रतिज्ञा लें कि उनके बताये रास्ते पर हम चलेंगे और उनके सिद्धान्तों को आत्मसात करेंगे। आज ही के दिन लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ था, जो भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और उनका कार्यकाल वर्ष1964-1966 तक रहा। शास्त्री जी गांधी जी से प्रभावित होकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदे तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में भी उन्होंने महती भूमिका अदा की। शास्त्री जी के कार्य एवं विचार इस तथ्य को रेखांकित करता हैं कि वह सादा जीवन उच्च विचार के मूर्त रूप थे। शास्त्री जी का नारा जय जवान – जय किसान जो 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया था, जो आज भी हम सबको प्रेरणा देता है। शास्त्री जी का ताशकंद का अंतिम संदेश था कि- हम रहें या न रहें लेकिन यह झण्डा रहना चाहिये और देश रहना चाहिये और मुझे विश्वास है कि यह झण्डा रहेगा। हम और आप रहें या न रहें लेकिन भारत का सिर ऊँचा रहेगा। भारत दुनियां के देशों में एक बड़ा देश होगा और शायद यह दुनियां को बहुत कुछ दे भी सके। हम आज इन दोनों देश के सपूतों के जन्मदिन के अवसर पर यह संकल्प लें कि उनके आदर्शों को हम आत्मसात करेंगे और देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर होनें में अपनी महती भूमिका निभायेंगे। Post navigation नारी अबला नहीं, सबला है: मास्टरमाइंड स्कूल में पुलिस ने छात्राओं को किया सशक्त कलेक्ट्रेट उन्नाव में गांधी-शास्त्री जयंती उत्साह और भव्यता से मनाई गई