जिले में प्रशासनिक न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त राजस्व के रेवेन्यू अधिकारियों की मनमानी के चलते उल्टे सीधे न्याय कर आम आदमी के जीवन से प्रशासनिक न्यायिक व्यवस्था को किया समाप्त। और तो और उत्तर प्रदेश की लोकप्रिय योगी जी की सरकार के सख्त आदेशों व निर्देशों के परखच्चे उड़ते हुए भ्रष्टाचार को दे रहे हैं बढ़ावा जिसके चलते विगत मास से आम आदमी तो छोड़ो अधिवक्ता तक न्यायिक कार्य का कर रहे हैं बहिष्कार व धरना प्रदर्शन । जनपद सदर तहसील में भ्रष्टाचार चरम पर भ्रष्ट अधिकारियों की भ्रष्ट कार्यशैली के कारण जनपद के विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा आगामी दिन में जिलाधिकारी तक के कार्य को बहिष्कार करने पर किया विवस तहसील प्रांगण से लेकर कचहरी में सुबह से जिला प्रशासन हाय हाय के नारे माननीय मुख्यमंत्री जी ऐसे गैर जिम्मेदाराना अधिकारियों के न्यायिक प्रक्रिया की जांच करा इन्हें न्यायिक कार्य से मुक्त करें जो सरकार के शत्रु बन बैठे हैं जो नियमानुसार करोड़ों की भूमि सरकार की होनी चाहिए वह भूमाफियाओं के हवाले अपने कुटचरित आदेशों के चलते विक्रय हेतु भूमाफियाओं के हवाले कर दी

यह है जनपद उन्नाव के न्यायप्रिय होनहार अधिकारी जिनको तनिक भी आपके निर्देशों का नहीं है भय, नहीं मानते आपके आदेश आज भी पूर्व सत्ता सपा प्रेम नहीं रहा छूट, और वर्तमान सरकार की छवि गिराने में नहीं है पीछे जिन्होंने न्याय शब्द को अपना……..
इन अधिकारियों के पिछले न्ययिक कार्य की जांच कराई जाए तो स्वयं सिद्ध हो जाएगी इनकी कार्यशैली, आम जनमानस को इनके द्वारा छोटे से छोटे कार्य प्रतिपादित कराने पर क्या मूल्य चुकाना पड़ता है

🔵 १-भूमि संख्या 1360 मि०जु, 1397 मि०जु० 1398 मि०जु ग्राम ऐरा भदियार परगना परियर तहसील सदर जिला उन्नाव
🔵 २-उक्त भूमि का कभी पट्टा किसान को हुआ ही नहीं सरकारी अभिलेख स्वयं गवाह है
स्वयं अपने आदेश में साहब कह रहे हैं की भूमि कृषि हेतु किसन को दी गई और यह लिखने को भूल गए की भूमि का पट्टा नहीं हुआ था सी एलआरडी योजना के तहत ए एस डी ओ महोदय द्वारा किसान को सन 1961 में भूमि मात्र कृषि कार्य हेतु दी गई जो जिसमें भूमि का स्वामित्व ग्राम समाज ही माना जाता है
आज भी उक्त गांव की कई बीघा जमीन जो किसानों को मात्र कृषि कार्य हेतु दी गई थी वह भूमि संक्रमणीय भूमि नहीं दर्ज हुई
🔵 ३-भूमि आसंक्रमणीय से संक्रमणीय सन 2020 में दर्ज होने के दौरान पूर्व एसडीएम महोदय द्वारा स्वयं यह कथन अपने आदेश में भी कहा गया कि कोई अभिलेख पट्टा संबंधित उक्त भूमि का कार्यालय में उपस्थित नहीं होना स्वीकार किया गया तो भूमि संक्रमणीय हुई कैसे ? जांच का विषय।
🔵 ४-जनपद के तेजतर्रार बुद्धिमान विख्यात सदर एसडीएम महोदय द्वारा ऐसी भूमि का विगत दिनांक 26/5/2025 में किए गए आदेश में उक्त तथ्य को अनदेखा कर कानून को ताक पर रखकर पूर्व में 2019 में मरी महिला जिसका मुकदमा कायम हुआ 2020 में महिला को जिंदा दिखाकर और आदेश भी हो गया मृतक के फेवर में, आदेश को भी सहीं मानकर सन 2007 के आसंक्रमणीय बैनामे की सपाइयों के दिग्गज नेताओं की दाखिल खारिज को सही स्वीकार किया गया। जबकि भूमि संक्रमणीय हुई सन 2020 में।
और तो और अपने ही सक्षम न्यायालय का स्टे के दौरान क्रय विक्रय पत्र को उचित ठहरा दिया अपने ही राजस्व परिषद के सक्षम न्यायालय का स्टेट स्वयं नजरअंदाज कर दिया गया
🔵 ५-सत्य तो यह भी है कि विवादित भूमि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय सन् 1960 के दशक के लगभग भूमिहीन किसानों के लिए लाई गई सीएलआरडी योजना में भूमिहीन किसानों को भूमि के कृषि हेतु दी जाने वाली योजना थी। जिसमें भूमि ग्राम समाज की ही रहेगी क्योंकि भूमि ए एस डी ओ द्वारा मौखिक कथनों पर निर्धारित थी जिसका सरकारी अभिलेख खतौनियों में रिकॉर्ड दर्ज है।
🔵 ६-सदर एसडीएम महोदय द्वारा सरकारी खतौनी को व्यक्तिगत रूप से मंगा अवलोकन भी किया गया, कि उक्त भूमि सीएलआरडी के तहत किसान को दी गई और जिसको पूर्व ए डी एम महोदय द्वारा भूमि पर किसान का अधिकार भी खत्म किया गया। परंतु ए डी एम महोदय द्वारा आदेश के दौरान तकनीकी त्रुटिवश योजना को पट्टा शब्द लिख गया। जिसको किसान ने लाभ उठाते हुए बोर्ड ऑफ रेवेन्यू न्यायालय को भी गुमराह कर पट्टा शब्द कहकर आदेश पारित कराया, जो कि सरासर गलत है। जिस पर एक परगना अधिकारी का यह दायित्व था कि ग्राम समाज की बेशकीमती भूमि होने के कारण इसका पट्टा किसान को नियमानुसार हुआ है कि भी नहीं और अगर गलत व किसी न्यायालय में उसको भृमित करके कोई आदेश कराया गया है तो उक्त संबंधित न्यायालय को सत्यता से अवगत करा उक्त भूमि को सरकार के खाते में निहित करें जो कि नहीं हुआ
🔵 ७-क्योंकि भूमि करोड़ों की थी, व सपा के दिक्कज नेताओं का मामला था जिस पर हर प्रकार का अधिकारियों पर दबाव भी बड़ा ही होगा जिसके कारण उक्त अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को भांपते व बड़े ललायित तथा बड़ी तत्परता पूर्व सदर तहसीलदार अविनाश चौधरी जी द्वारा दिनांक 24/1/2025 को आसंक्रमणीय बैनामे की दाखिल-खारिज जिस पर पूर्व नायब तहसीलदार अधिकारी ने इस पर स्थगन आदेश जारी कर रखा था स्थगन आदेश समाप्त कर दाखिल खारिज को सही स्वीकार किया गया जबकि राजस्व परिषद के सख्त आदेश है कि कोई भी भूमि अगर आसंक्रमणी भूमि दर्ज है जब तक वह भूमि लिखित रूप से संक्रमणीय भूमिधर नहीं घोषित होती है और अगर ऐसी दशा में उस भूमि का कृय विक्रय होता है तो वह भूमि सरकार की मानी जाए स्वयं तहसीलदार अविनाश जी द्वारा जारी ऑडियो में भी उक्त कथन को कहा गया लेकिन यह जिम्मेदार अधिकारी यह भी भूल गए और जिस पर सदर एसडीएम क्षितिज द्विवेदी जी द्वारा दिनांक 26/5/2025 को जिला प्रशासन की अंतिम मोहर लगा यह कहते हुए अपने ही कार्यालय की व राजस्व कार्यालय की शिथिलता व कमी बताते पास कर दिया गया और भूमि सपाइयों के हवाले विक्रय हेतु कर दी गई। अब जाओ लखनऊ आयुक्त महोदय के वहां गुहार लगाओ जाकर, जब तक यह भूमि भूमाफिया लगा देंगे ठिकाने क्या करें आम आदमी और तो और जहां मामला इतना गंभीर था, ना ही दोनों अधिकारियों ने शासकीय अधिवक्ता को लिखित रूप से ना अवगत कराया ना उनसे कोई स्पष्टीकरण लिया गया और ना ही शासकीय अधिवक्ता महोदय ने उक्त मामले को संज्ञान में लेकर किसी प्रकार की हीला–हवाली सक्षम न्यायालय में पेश की। यह भी एक गंभीर जांच का विषय है।
पता नहीं कितनी बेशकीमती संपत्तियां जो सरकार में निहित होनी चाहिए वह भू माफियाओं के हवाले कर दी जाती हैं। ऐसा है हमारा जिला प्रशासन व उसके जिम्मेदार अधिकारी………।
और अगर कोई पत्रकार अधिकारियों के कुसंगत आदेशों के खिलाफ समाचार लिखे तो उसे अपनी ऊंची पहुंच वास्ता दे अधिकारी कानूनी कार्रवाई यहां तक अंदर बाहर वह फर्जी मुकदमे में फसाने की धमकी देते हैं और गुंडे जीवन से मुक्ति की।
गर्व से कहो यह हमारा जनपद उन्नाव है यहां भूमाफियाओं का राज है।

मैं धीरेंद्र प्रताप तिवारी (मान्यता प्राप्त पत्रकार) उल्लेखित कथनों में अगर कोई भी कथन असत्य है तो मुझे जिला प्रशासन अवगत कराने का कष्ट करें और अगर सही है तो ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर इन्हें न्यायिक कार्य से मुक्त करें ताकि जनपद में न्यायिक व्यवस्था दुरुस्त हो सके।🙏🏻

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