उन्नाव– कानपुर-लखनऊ हाईवे पर स्थित वसुंधरा रिसोर्ट एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। बताया जा रहा है कि रिसोर्ट पर कब्जे को लेकर दो प्रभावशाली परिवार आमने-सामने हैं। दोनों ही पक्ष अपने-अपने दावे को सही ठहराते हुए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। मामले की जड़ में है वसुंधरा रिसोर्ट की वह जमीन, जो कुछ माह पहले भी विवादों में रह चुकी है। सूत्रों के अनुसार, इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर पहले भी कई लोगों ने दावे किए थे, जिसके बाद “जमीन का खेल” चर्चा में आया था। “खेल कोई और रहा, गाज किसी और पर गिरी” स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में कुछ लोगों ने भरपूर आर्थिक लाभ कमाया। धनलक्ष्मी की वर्षा हुई, लेकिन असली मालिक कौन है, यह आज तक साफ नहीं हो पाया। कुछ लोग “कैप्सूल” बन गए तो कुछ “हेलमेट” के सुरक्षा कवच में सुरक्षित निकल गए। जानकारी के अनुसार, जमीन पर कब्जे को लेकर जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उनमें से कुछ के ऊपर पहले से ही कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से एक का कहना है कि वह विदेश में कमाने गए थे, लेकिन “जमीन के व्यापार में अंधा पैसा” देखकर लौट आए — अब जिंदगी में रिस्क लेना जरूरी है। शासन-प्रशासन पर उठ रहे सवाल यह सवाल अब सीधे शासन और प्रशासन पर उठ रहे हैं कि आखिर एक ही जमीन पर दो-दो मालिक कैसे बन जाते हैं? यह पूरा खेल किसके संरक्षण में चल रहा है, और असली खिलाड़ी कौन है? स्थानीय लोग कहते हैं, “अंधेर नगरी चौपट राजा” — उन्नाव में माफियाओं का यह पुराना धंधा है। मोहरा कोई और बनता है, बंदूक किसी और के कंधे पर रखी जाती है, और गोली कोई और चला देता है। जनता के लिए चेतावनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में प्रत्येक व्यक्ति को विवेक और धैर्य से काम लेना चाहिए। किसी के बहकावे में आकर जमीन के सौदे करने से पहले पूरी जांच कर लेनी चाहिए, क्योंकि ऐसे विवाद भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। प्रशासन से अपील स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इस जमीन विवाद की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति न हो सके। Post navigation लौह पुरुष की जयंती पर जनपद में उमड़ेगी एकता की भावना, महिला पुलिस करेगी तिरंगा परेड नेता को धमकी देने की साजिश नाकाम, पुलिस के हत्थे चढ़ा हिस्ट्रीशीटर अंशु यादव