समाज में परिवर्तन तब आएगा जब हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करेंगे-उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ भारतीयता और भारत हमारे लिए सर्वोपरि है, हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए-उपराष्ट्रपति मानव संसाधन और सांस्कृतिक विरासत देश की सबसे बड़ी पूंजी -उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा, जब बहुत अधिक प्रगति होती है तब कुछ ताकतें विरोध करने की कसर नहीं छोड़ती उपराष्ट्रपति ने संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी संघ को संबोधित किया भारत जैसी समृद्ध विरासत पूरी दुनिया में कहीं नहीं-उपराष्ट्रपति G20 के सफल आयोजन ने पूरी दुनिया को भारत की संस्कृति से परिचित कराया-श्री धनखड़ G20 की सफलता की सराहना पूरी दुनिया ने की- उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम की आलोचना कर राजनैतिक लाभ अर्जित करने के प्रयास को मानवता के लिए घातक बताया। उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में परिवर्तन तब आएगा जब हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करेंगे, उन्होंने कहा भारतीयता और भारत हमारे लिए सर्वोपरि हैं, हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज नई दिल्ली में संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी संघ को संबोधित किया, इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ समाजसेवी श्री माधव विनायक कुलकर्णी “मधु भाई” को “ऋषि सम्मान” से सम्मानित करते हुए कहा कि मधु भाई को सम्मानित करना मेरे लिए गौरव की बात है, उन्होंने आगे कहा कि मधु भाई का जीवन सादगी से पूर्ण है और ऐसे व्यक्तित्व का सम्मान करना समाज में स्थापित मूल्यों का सम्मान करना है, समाज की आधारशिला जिन मूल्यों और लोकाचारों पर टिकी हुई है, मधु भाई उसका जीवंत उदाहरण है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत जैसी समृद्ध विरासत पूरी दुनिया में कहीं नहीं है, भारत की संस्कृति पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुरानी संस्कृति है, जो लोकाचार और मानवीय मूल्य भारत की संस्कृति में विद्यमान है वे पूरी दुनिया में किसी भी देश की संस्कृति में नहीं है। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी उस समय भी कोविड महामारी की चुनौती के बावजूद भी भारत, जिसकी अपनी आबादी एक सौ चालीस करोड़ से भी अधिक है, उसने सौ से अधिक देशों को वैक्सीन भेज कर उनकी सहायता की, हमारी संस्कृति का यही लोकाचार है, हमारी संस्कृति की यही पहचान है, “वसुधैव कुटुंबकम” का सच्चा अर्थ यही है। श्री धनखड़ ने दूसरे देशों में जाकर भारत की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बहुत अधिक प्रगति होती है तब न्यूटन के तीसरे नियम के तहत कुछ ताकतें देश की प्रगति की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं, किसी भी हद तक जाकर आलोचना करती हैं और देश को बदनाम करने का कुकृत्य करती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी वहां का मानव संसाधन है, देश की सांस्कृतिक विरासत भी एक बड़ी पूंजी होती है और सांस्कृतिक विरासत एक सॉफ्ट पावर के रूप में देश की तरक्की में अपनी भूमिका निभाती है। देश के युवाओं को आगाह करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि देश के युवा राष्ट्र की उन्नति के कर्णधार हैं, भारत को विकसित बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, लोकतंत्र में सबसे अधिक हितधारक हमारे युवा ही हैं। भारत की आबादी में युवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश का भविष्य में क्या स्वरूप होगा, यह देश के युवाओं के योगदान और उनकी सजगता पर निर्भर करेगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने वाले योद्धा हमारे युवा ही बनेंगे। सांसदों के आचरण और मर्यादा को लेकर अपनी चिंता को साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप अपने सांसदों से संसद में क्या उम्मीद करते हैं ? आप उम्मीद करते हैं कि हमारे सांसद वहां संवाद करेंगे, चर्चा करेंगे, गहन विचार विमर्श करेंगे और महत्वपूर्ण कानूनों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे लेकिन इसके बदले में आपको क्या देखने को मिलता है, शोर हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप, हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए ताकि दूसरे लोग उससे कुछ सीख सकें, हमें अपने आचरण से समाज के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जिस दिन हमारे देश के युवा ठान लेंगे की चुना हुआ सांसद संविधान की अपेक्षा के अनुसार अपने कर्तव्य का पालन करेगा उस दिन हमारे सांसदों को संविधान के अनुसार आचरण करना पड़ेगा। हाल ही में भारत में आयोजित G20 सम्मेलन की सफलता की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के हर एक कोने में G20 से जुड़ी बैठकें आयोजित की गईं। उन्होंने आगे कहा G20 की सफलता की सराहना पूरी दुनिया ने की, G20 के आयोजन ने पूरी दुनिया को भारत की संस्कृति और समृद्ध विरासत से परिचित कराया। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने ‘चंद्रयान-3’ की सफलता की भी सराहना की, उन्होंने कहा भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई ताकत बनकर उभरा है और पूरा विश्व भारत की इस सफलता से आश्चर्यचकित है, उन्होंने कहा भारत ने वह करके दिखाया जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी। भारत की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा नई शिक्षा नीति बदलाव का एक मुख्य कारण बनेगी, इस शिक्षा नीति के तहत युवा एक साथ कई पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी साधन यदि कोई है तो वह शिक्षा ही है और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की नई शिक्षा नीति के माध्यम से समाज में एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी परिवर्तन होगा जो देश के शिक्षा जगत को एक नई दिशा प्रदान करेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा आज युवाओं के लिए भारत में करियर बनाने के लिए सर्वाधिक अवसर उपलब्ध हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पूर्व अध्यक्ष, जस्टिस आदर्श गोयल, वरिष्ठ समाजसेवी श्री माधव विनायक कुलकर्णी ‘मधु भाई’, संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष, श्री संतोष तनेजा, पूर्व सिविल सेवा अधिकारी संघ के सदस्य और कई अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। Post navigation नीति आयोग ने भारत में वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) 2023 के अनावरण का उत्सव मनाया रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प हमारी सरकार की प्राथमिकता : प्रधानमंत्री