• न्याय शब्द का कर दिया चीरहरण।
  • अपने पद व गरिमा को भूल बैठे निज स्वार्थ के आगे।
  • जिले के उच्च अधिकारियों ने तहसीलदार के दबदबे के चलते बांधी आंखों में पट्टी।
  • जनपद उन्नाव सदर तहसील वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के सागर में गोते लगाते दिख रही है। जिस पर जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों का संयम भी नहीं दिख रहा है। बताते हैं कि सदर तहसीलदार इतने प्रभावशाली है कि उनके आगे उच्च अधिकारी भी उनके कृत्य पर पर्दा डालते दिखते हैं। जिससे सदर तहसीलदार का मनोबल और भी बढ़ता जा रहा है। जहां उन्होंने सरकारी पत्रावलियों को अपने स्कूल की होमवर्क की कॉपी बनाकर रख दिया है जब जो चाहे लिख दे और जब चाहे चुपचाप काट दे।
  • पता चलता है कि न्यायिक कक्षा में याची कर्ताओं के आगे कुछ लिखते हैं और बाद में किसी दबाव के चलते अपने विश्राम कक्ष में पत्रावली में संशोधन कर कुछ और लिख देते हैं।
  • जिसके चलते याचीकर्ता पूर्व नियत तारीख के चलते सुनवाई हेतु न्याय कक्ष में पहुंचता है तो उसको बताया जाता है की तुम्हारी बहस पर नहीं आदेश पर फाइल है।
  • और तो और जबकि याचिकर्ता के विद्वान अधिवक्ता उक्त तिथि में अनुपस्थित होने का प्रार्थना पत्र किसी माध्यम से भेज रहे हैं। जिसे तहसीलदार साहब द्वारा प्राप्त कर खारिज करना बताया जाता है।
  • और पूर्ण नियोजित संयंत्र को अंजाम देते हुए अपने आदेश में बहस सुनना स्वीकार कर दिखलाते हैं। अब इसको क्या कहा जाए सरकारी पत्रावली की फर्देकाम स्वयं गवाह अगर उक्त पत्रावली की फर्देकाम कोई उच्च अधिकारी मात्र एक बार ध्यान से देखें तो सारा संयंत्र स्वयं सामने आ जाएगा।
  • अधिवक्ता की अनुपस्थित होने के चलते उसे स्वयं अपनी फर्देकाम लिख भी रहे हैं, और दूसरे तरफ जो बहस पर अग्रिम तिथि में लगाई गई वही षड्यंत्र के चलते वह शब्द काटकर आदेश शब्द लिख दिया गया।
  • जबकि वास्तविकता यह है की 24 जनवरी तारीख बहस पर याचिकर्ता की लगी थी, लेकिन सुनियोजित ढंग से संयंत्र को अंजाम देते हुए उसकी 24 जनवरी को वह शब्द काटकर अलग से आदेश शब्द अपने मन मुताबिक लिखकर फाइल का पिंडदान कर देते हैं। याचिकर्ता जाए तो कहां जाए ?
  • स्क्रीन संलग्न पत्रावली की फर्देकाम नकल स्वयं सबुत है।

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