उत्तर प्रदेश के मुखिया के निर्देशों की बखिया उधेड़ने मैं पीछे नहीं यह राजस्व अधिकारी।

 

उत्तर प्रदेश लोकप्रिय मुख्यमंत्री जी की छवि को धूमिल करने में यह अधिकारी हैं सक्षम।

 

राजस्व परिषद के अधिकारी ही अपने स्वयं राजस्व अभिलेखों व कार्यालय की शिथिलता का हवाला देते फिर रहे अपने आदेश में। राजस्व परिषद का राम हि मालिक। करोड़ों की बगैर पट्टे की सरकारी भूमि कानून को दरकिनार कर आसंक्रमणी भूमि दस्तावेज को आधार मानकर सपा भू माफियाओं के हवाले कर दी।

 

तहसील के उच्च अधिकारी बोर्ड आफ रिवेन्यू का हवाला दे कहते हैं कि पट्टा देखने का काम बोर्ड ऑफ रेवेन्यू का था अपने आदेश में देखना यह शब्द है तहसील के उच्च अधिकारी के जबकि पट्टा का अवलोकन करना तहसीलदार व परगना अधिकारी का प्रथम कर्तव्य था, की कही ग्राम समाज की भूमि तो नहीं। जो भूमि सरकार के किसी विशेष प्रयोजन आम जनमानस के लिए हो सकती थी उपयोगी। अपने ही कार्यालय की गलती बता कर रहे हैं न्याय। जब अधिकारी ही अपने आदेश में यह कह रहे हैं धन्य है राजस्व परिषद व उसके अधिकारी। राजस्व परिषद के सक्षम न्यायालय का निर्गत स्टे स्वयं नहीं मानते राजस्व परिषद के ही सक्षम व तहसील के उच्च अधिकारी। राजस्व परिषद के न्याय प्रणाली से आम जनमानस का उठा विश्वास। जनपद उन्नाव की सदर तहसील भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी जो बनी रहती है सदैव चर्चा में।

 

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