बड़े-बड़े मंत्री जनपद उन्नाव में आकर आम जनमानस व प्रेस कॉन्फ्रेंस में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का बुनते हैं ताना-बाना सत्य तो यह है कि कोई कार्य व जांच करना उचित नहीं समझता, तालियों की गरगहाट से खत्म कर दी जाती है प्रेस कॉन्फ्रेंस। क्या फायदा ? तभी तो आम जनमानस से लेकर सरकारी कर्मचारी तक कोई फांसी लगाकर तो कोई लखनऊ जाकर जहर खाकर मर रहा तो कोई दर-दर भटकने को मजबूर। कोई भी मंत्री व विधायक व सत्ता पक्ष का नेता आम जनमानस की समस्याओं को लेकर धरातल पर उतरना नहीं चाहता जिसका खामियाजा आने वाले चुनाव में ही देखने को मिल सकता है। जनपद उन्नाव की जनता इस वक्त राजस्व परिषद के कर्मियों व अधिकारियों से त्रस्त दिख रही है जहां आए दिन क्राइम ब्रांच द्वारा कई तहसीलों में राजस्व कर्मी गिरफ्तार भी किए गए लेकिन जो बड़े मगरमच्छ है उन पर किसी का हाथ डालने का साहस नहीं होता। हाल ही में जनपद उन्नाव में आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी के कार्यक्रम में जहां विकास भवन में उनकी वार्ता चल रही थी तभी आम जनमानस व मजलूम जनता बिचारे माननीय मंत्री जी के समक्ष अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने हेतु विवस दिख रहे थे जिला प्रशासन ने ताकत से रोक दिया। उत्तर प्रदेश लोकप्रिय मुख्यमंत्री जी की छवि को धूमिल करने में यह अधिकारी हैं पूर्ण रूप से सक्षम। राजस्व परिषद के अधिकारी ही अपने स्वयं राजस्व अभिलेखों व कार्यालय की शिथिलता का हवाला देते फिर रहे अपने आदेश में तो क्या होगा राजस्व परिषद का। राजस्व परिषद का राम हि मालिक। करोड़ों की बगैर पट्टे की सरकारी भूमि कानून को दरकिनार कर आसंक्रमणी भूमि दस्तावेज को आधार मानकर सपा भू माफियाओं के हवाले कर दी। सदर परगना अधिकारी द्वारा निर्गत आदेश दिनांक 26 मार्च 2025 स्वयं अपने में गवाह है और तो और उक्त पत्रावली में तहसीलदार अविनाश जी ने जारी आदेश दिनांक 24जनवरी 2025 के आदेश में राजस्व परिषद के नियमों के साथ-साथ जारी अपने नियमावली ऑडियो को भी दे दी दुहाई मुर्दे के नाम दाखिल खारिज आवेदन व उस पर हुए पूर्व फैसले को सही ठहराया क्या इससे भी बड़ा भ्रष्टाचार होता है। कांग्रेस कार्यकाल में भूमि हीन किसानों के लिए खेती करने हेतु (सी एलआरडी सन 1960 के दशक में ) योजना को पट्टे का रूप दे रहे अधिकारी। तहसील के उच्च अधिकारी बोर्ड आफ रिवेन्यू का हवाला दे कहते हैं कि पट्टा देखने का काम बोर्ड ऑफ रेवेन्यू का था अपने आदेश में तहसील के उच्च अधिकारी के। जबकि पट्टा का अवलोकन करना तहसीलदार व परगना अधिकारी का प्रथम कर्तव्य था, की कही ग्राम समाज की भूमि तो नहीं। जो करोड़ों की भूमि सरकार के किसी विशेष प्रयोजन आम जनमानस के लिए हो सकती थी उपयोगी। अपने ही कार्यालय की गलती बता कर रहे हैं न्याय जिस पर ताड़का का काम करता है शासकीय अधिवक्ताओं की ढूलमुल नीत जिसके चलते अधिकारी भी इनको लिखित बताना नहीं समझते उचित इनके रवैया पर कोई प्रश्न नहीं क्योंकि यह लोग मंत्री जी के होते हैं नजदीक। राजस्व परिषद के सक्षम न्यायालय का निर्गत स्टे स्वयं नहीं मानते राजस्व परिषद के ही सक्षम व तहसील के उच्च अधिकारी। राजस्व परिषद के न्याय प्रणाली से आम जनमानस का उठा विश्वास और जो पत्रकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखता है तो अधिकारी उसको देखने की और भूमाफिया ऊपर भेजने की बात करते हैं। https://unnaosarjami.com/wp-content/uploads/2025/09/VID-20250922-WA0030.mp4 Post navigation मिशन शक्ति-05: महिलाओं को अधिकार और सुरक्षा के प्रति किया जागरूक उन्नाव: बिना अनुमति जुलूस में पथराव, भारी पुलिस बल तैनात